Tuesday, August 30, 2011


      अन्ना-पुराण
            -डा.राज सक्सेना
अन्ना जी के सामने,साबित हुए निखद्द |
लम्बी-लम्बी हांक कर बने हुए थे सिद्द |
बने हुए थे सिद्द, धरा अब चाट रहे हैं |
ओमपुरी और किरन मैम को डांट रहे हैं |
कहे'राजकविराय'नैनसुख अब तो जागो,
जान गये औकात सुनो लम्बी मत हांको |
           -०-
रालेगन ने फिर किया,गांधी दांव प्रसिद्ध |
'नवगांधी'पैदा किया,किया सिद्ध ने सिद्ध |
किया सिद्ध ने सिद्ध ,महाभारत दोहराई ,
अर्जुन बनकर लड़े,सही औकात दिखाई |
कहे'राजकविराय'मीडिया कृष्ण सरीखा,
सिर्फ दिखाया सत्य,लगाया नहीं पलीता |
          -०-
लीला के मैदान में,राम लला सा युद्ध |
एक ओर जनता खड़ी,भृष्ट जनों से क्रुद्ध |
भृष्ट जनों से क्रुद्ध,चाल से चेहरे   काटे,
खुद ही पीने पड़े,जहर जितने भी बांटे |
कहे'राजकविराय' मनीष,दिग्गी दुर्भागे ,
पड़े चोर पर मोर,छिपाकर मुंह को भागे |
          -०-

No comments:

Post a Comment