Tuesday, January 31, 2012

चलाते हैं हम डण्डे


        चलाते हैं हम डण्डे
                  -डा.राज सक्सेना
      देवों के आयोग ने,  रख बल, बुद्धि, विवेक |
      सभी दलों से  यह कहा,छांटो इनमे  एक |
      दलित बताकर हाथी ने तब बल को मांगा ,
      शातिर पंजा छीन स्वंय,बुद्धि  ले   भागा |
      रहना पीछे 'राज',   कमल ने कभी न छोड़ा,
      मत्थे पड़ा विवेक , विवश हो उसने ओढा |
इस विवेक से हो गई,बी जे पी कन्फ्यूज |
सही वक्त पर मुददआ,कभी न करती यूज |
कभी न करती यूज,धूल में लट्ठ चलाते,
नहीं वरुण को, राहुल के पीछे   दौड़ाते |
कहे'राजकवि'वोट,अधिकतम खिंचकर आते,
पिटता दिग्गी रोज,चित्त राहुल हो  जाते |
        देख मिला इनको बहुत,गई स पा बौराय |
       संविधानजी से कहा,हमपर क्यों अन्याय |
       रखा न शेष बचाय, हमारी जड़ें न काटो,
       मांग हमारी मुस्लिम को आरक्षण बांटो |
       कहे 'राज कवि', संविधान तब रोकर बोला,
       वोटतुला से अलग,कभी क्या मुझको तोला |
तोला है तो क्या हुआ,करते यह सब अन्य |
लुंज-पुंज तुमको बना,नेता सब हैं  धन्य |
लोकपाल पर प्रश्न  करो , न चुप्पी  तोड़ें,
सभी जांच के प्रश्न,स्वंय अपने पर छोड़ें |
'राज'लोकपाल ये बिनारीढ इसलिये बनाएं ,
कर जाएं सब हड़प,सजा बिल्कुल न पाएं|
       माल-माल उदरस्थ कर , मट्ठा देंगे  छोड़ |
       बन कर पक्के सैकुलर, उसमें धर्म निचोड़ |
       उसमें धर्म निचोड़,जाति का  डालें  पंगा ,
       नहीं अगर कुछ मिले,करादें मजहब दंगा |
       कहे'राज कवि' ,पुलिसबलों के चलवा डण्डे,
       बांटे हम अनुदान,जीतने के यह सब फण्डे |
                                 -धनवर्षा,हनुमानमन्दिर,
    खटीमा- 262308(उ.ख.)मो०-09410718777

        चलाते हैं हम डण्डे
                  -डा.राज सक्सेना 
      देवों के आयोग ने,  रख बल, बुद्धि, विवेक |
      सभी दलों से  यह कहा,छांटो इनमे  एक |
      दलित बताकर हाथी ने तब बल को मांगा ,
      शातिर पंजा छीन स्वंय,बुद्धि  ले   भागा |
      रहना पीछे 'राज',   कमल ने कभी न छोड़ा,
      मत्थे पड़ा विवेक , विवश हो उसने ओढा |
इस विवेक से हो गई,बी जे पी कन्फ्यूज |
सही वक्त पर मुददआ,कभी न करती यूज |
कभी न करती यूज,धूल में लट्ठ चलाते,
नहीं वरुण को, राहुल के पीछे   दौड़ाते |
कहे'राजकवि'वोट,अधिकतम खिंचकर आते,
पिटता दिग्गी रोज,चित्त राहुल हो  जाते |
        देख मिला इनको बहुत,गई स पा बौराय |
       संविधानजी से कहा,हमपर क्यों अन्याय |
       रखा न शेष बचाय, हमारी जड़ें न काटो,
       मांग हमारी मुस्लिम को आरक्षण बांटो |
       कहे 'राज कवि', संविधान तब रोकर बोला,
       वोटतुला से अलग,कभी क्या मुझको तोला |
तोला है तो क्या हुआ,करते यह सब अन्य |
लुंज-पुंज तुमको बना,नेता सब हैं  धन्य |
लोकपाल पर प्रश्न  करो , न चुप्पी  तोड़ें,
सभी जांच के प्रश्न,स्वंय अपने पर छोड़ें |
'राज'लोकपाल ये बिनारीढ इसलिये बनाएं ,
कर जाएं सब हड़प,सजा बिल्कुल न पाएं|
       माल-माल उदरस्थ कर , मट्ठा देंगे  छोड़ |
       बन कर पक्के सैकुलर, उसमें धर्म निचोड़ |
       उसमें धर्म निचोड़,जाति का  डालें  पंगा ,
       नहीं अगर कुछ मिले,करादें मजहब दंगा |
       कहे'राज कवि' ,पुलिसबलों के चलवा डण्डे,
       बांटे हम अनुदान,जीतने के यह सब फण्डे |
                                 -धनवर्षा,हनुमानमन्दिर,
    खटीमा- 262308(उ.ख.)मो०-09410718777