Wednesday, February 8, 2012

लास्ट तक


  लास्ट तक
               - डा.राज सक्सेना
फ्युचर की दौड़ में जरा, सोचो  तो पास्ट तक |
रुक कर कहीं भी देखलो, झांको तो लास्ट तक |
इस देश की जम्हूरियत का जरा हाल देखिये -
हद तक सिमट के आगई है अपनी कास्ट तक |
कविता सुना के चल दिये कविवर दबंग जी,
हम सोचते ही रह गये , बैठेंगे लास्ट तक |
आये थे हमको देखने,  हम बीमार थे बहुत ,
अपनी कथा सुनाते रहे, सब को लास्ट तक |
टेबल में ठहरती है दुरान्तो, जाकर के अंत में,
हकीकत में नौ जगह तो ठहरती है लास्ट तक |
करने गरीबी दूर वो, निकले हैं जब से 'राज',
जनता को लेके आ गए जबरन वो फास्ट तक |

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