Tuesday, April 24, 2012

श्री पंचर दोहावली

            श्री पंचर दोहावली
'पैसेन्जर'फा इल बनी,हर 'टेसन'रुक जाय |
'बापू-मुख'दर्शन करे, दूरान्तो  बन  जाय ||
            लक्ष्मी आनी-जानी, आज की राम कहानी |
खुला सांड़ अफसर फिरे, बाबू लिखता नोट |
रेस्ट-रूम में मौज कर, होता रहे   प्रमोट ||
            परम्परा यही पुरानी, आज की राम कहानी |
नेता'राम-निवास जी',कहते पि.ए.बुलाय |
सूर्पनखा को बुक करो, सीता करे  डिनाय ||
            चाहिये रोज जवानी, आज की राम कहानी |
खेलों तक में हो रहा, जी भर शोषण यौन |
बिचलन निज संस्कृति का,कबतक देखें मौन ||
            संस्कृति होती फानी,आज की राम कहानी |
बहू सास से बोलती, टिकट मसूरी  लाय |
तीन दिवस के बाद में,आना मौज मनाय ||
            हमें भी मौज मनानी,आज की राम कहानी |

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