Saturday, March 30, 2013
पांच चुनावी छ्क्के
पांच चुनावी छ्क्के
- डा.राज सक्सेना
बहूगुणा ने गुण दिखा, दी होली की छींट |
अध्यक्षी को कर दिया,उसने महिला सीट |
उसने महिला सीट, सैकड़ों को दहलाया,
कर के हेरा फेर, नगर को मूर्ख बनाया |
कहे 'राजकवि',कितने सपने चूर कराए,
चीख रहे कुछ लोग, नर्क में सीधा जाए |
-०-
नियमों को उल्टा बना, उसमें लिया लपेट |
गढवाली हर सीट को, कर के उसमे सैट |
कर के उसमे सैट, पूर्ण गढवाल बचाया,
लगभग पूर्ण कुमांऊं ही आरक्षित करबाया |
कहे 'राजकवि'राजधर्म क्या खूब निभाया,
यही कुमाऊं है जिसने, सी एम बनवाया |
-०-
प्रशासनी अधिकार की, दिखी आज औकात |
बात उसी की मानते, जिसकी खाते लात |
जिसकी खाते लात, उसी का हुक्म बजाते,
नियम और कानून,ताक पर घर रख आते |
कहे 'राज कवि'सुनो,हुक्म के चपरकनाती,
नियम तोड़कर पुनः बनाते लाज न आती |
-०-
अपने हित को साधने, जन-हित देते तोड़ |
मनमानी से कर रहे, 'ला' की तोड़मरोड़ |
'ला' की तोड़ - मरोड़, अंधेरे में ले जाते,
फिर शासक से उसपर अनगिन रेप कराते |
चिलम'राज कवि'किस हदतक ये भरते हैं,
कभी-कभी तो बेशरमी की, हद करते हैं |
-०-
जिस जनता की जेब से,आता टैक्स कराल |
उस से तनखा प्राप्त कर, फूल रहे हैं गाल |
फूल रहे हैं गाल, नहीं निज कार् चलाते,
ये लीडर घर बेच, तुम्हें क्या मौज कराते |
कहे 'राज कवि'मित्र, कहो क्युं पूंछ हिलाते,
करते रहते सहन, नहीं 'कुछ' क्यों गुर्राते |
-०-
- हनुमानमंदिर,खटीमा, मो- 9410718777
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