Monday, May 9, 2011

शिकायत है बहुत छोटी, हमें करना नहीं आता /
लगीं हैं टोंटियाँ घर में, मगर पानी नहीं  आता /
यूँ कहने को मेरे घर  में, टंगे हैं बल्ब दर्जन भर,
बने शो पीस रहते हैं , कभी पावर नहीं आता /
लगे हैं सैकड़ों स्वच्छक ,शहर भर की सफाई को,
ये दीगर बात है अपनी, गली में वो नहीं आता /
है हर खम्बे पे एक हंडा, बड़ा सा रौशनी करने,
बिचारा क्या करे उसको, कभी जलना नहीं आता /
ये लगता है कि सब अंधे ,भरे हैं इन विभागों में,
बिना` पकड़े हुए लकड़ी`, इन्हें चलना नहीं आता /
सिखाया है इन्हें जनता , रियाया  `राज`इनकी है,
उसे मिल जाये कुछ सुविधा, इन्हें करना नहीं आता /


दूरबीनों को उठा कर, कोना-कोना देख लो /
कर दिया इंसाफ हम ने , कितना बौना देख लो /
हो गया दायर तो फिर, तारीख बरसों तक नहीं , 
क्या जरूरी केस का तुम, खत्म होना देख लो /
पीडिता से साजिशन, करके कुछ उलटे सवाल,
एक व्यभिचारी  सज़ा से,  दूर होना देख लो /
सत्य की लेकर शपथ, आधार है हर झूंठ का,
सत्य-मन्दिर में असत का,मुख घिनौना देख लो /
कत्ल चौराहे पे सब के, सामने होता है पर,
न्याय को निर्जल नदी में, जा डुबोना देख लो /
ये कहा है `राज `सबने,`अंत अति का एक दिन`,
क्या पता तुम ये कहावत, सत्य होना देख लो /

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