देती उसे गाली है
राज सक्सेना
इस दौर-ए-फजीहत की, जनता भी निराली है |
चुनती है जिसे खुद ही, देती उसे गाली है |
नेता तो जन्म से ही मंगतों की नसल का है ,
कल वोट मांगता था, अब नोट सवाली है |
हालत ये हो गयी है अब कौन देखता है,
असली है नोट या फिर , हर चीज सा जाली है |
खेतों को खा रही है , अब बाढ़ आगे बढ़ कर,
बाकी बचे तो खाऊं , ताके हुए माली है |
नौकर का पेट हद से , अब बढ़ गया है इतना ,
वेतन तो हक है उसका, रिश्वत भी हलाली है |
कर के नकल से बी.ए. , है छात्र दल का नेता,
छोटी मिर्च सरीखा, हद दर्जा बबाली है |
खाता है कसम ये के, मैनें तो नहीं पी है,
भेजो जो शाम बोतलमिलती सुबह खाली है |
एक सुन्दरी को लेकर,दौरे पे आया अफसर,
लाया है किराये पर, कहता है के साली है |
हर -इक चला रहा है, हाथों को `राज ` अपने,
पड़ जाये तो थप्पड़ है, बज जाये तो ताली है |
- धनवर्षा,हनुमान मन्दिर,
खटीमा- 262308 (उत्तराखंड)
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