Wednesday, June 22, 2011

deti use gali hai

           देती उसे गाली है 
                      राज सक्सेना 
इस दौर-ए-फजीहत की, जनता भी निराली है |
चुनती  है जिसे खुद ही, देती उसे गाली है |
नेता तो जन्म से ही मंगतों की नसल का है , 
 कल वोट मांगता था, अब नोट सवाली है |
हालत ये हो गयी है अब कौन देखता है,
असली है नोट या फिर , हर चीज सा जाली है |
खेतों  को खा रही है , अब बाढ़ आगे बढ़ कर,
बाकी बचे तो खाऊं , ताके हुए  माली है |
 नौकर का पेट हद से , अब बढ़ गया है इतना ,
वेतन तो हक है उसका, रिश्वत भी हलाली है |
कर के नकल से बी.ए. , है छात्र दल का नेता,
छोटी मिर्च सरीखा, हद दर्जा  बबाली है  |
खाता है कसम ये के, मैनें तो नहीं पी है,
भेजो जो शाम बोतलमिलती सुबह खाली है |
एक सुन्दरी को लेकर,दौरे पे आया अफसर,
लाया है किराये पर,  कहता है के साली है |
हर -इक चला रहा है, हाथों को `राज ` अपने,
पड़  जाये तो थप्पड़ है, बज जाये  तो ताली है |


                            - धनवर्षा,हनुमान मन्दिर,
                         खटीमा- 262308 (उत्तराखंड)

No comments:

Post a Comment