की कमाई आपने
- राज सक्सेना
जिन्दगी भर ऊपरी ही, की कमाई आपने |
ये बताओ वो कहाँ, जाकर छुपाई आपने |
क्यों पड़ोसन पड़ गयी आकर गले,
कब गजल छुप कर , सुनाई आपने |
फिर रहे हैं खांसते , हर सूं मियां ,
कौन सी खाली दवाई आपने |
लिख रहे हैं देर से, गजलें जनाब ,
क्यों नहीं कोई , छपाई आपने |
तीसरी भी छोड़ कर, मैके गयी,
फिर से करदी क्या, पिटाई आपने |
ताक में रहते , मिले तो ओढ़ लें,
क्योंनहीं अबतक खरीदी है रजाई आपने |
आजकल वे गीत गाते फिर रहे,आपके-
आजकल वे गीत गाते फिर रहे,आपके-
`राज` फिर दारू पिलाई आपने |
- धनवर्षा,हनुमान मन्दिर,
खटीमा-262308
मो- 09410718777
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