Saturday, June 4, 2011

kinnr srkar

                 किन्नर - सरकार 

संसद में चुन किन्नर आये,
पी एम् शब्बो को चुना गया |
चंदा को गृह, रजनी   विदेश,
कजरी को रक्षा  दिया  गया

बाकी विभाग भी जल्दी  ही,
किन्नरगण में बंट जाने दो |
चल चुका बहुत शास,न सबका
किन्नर सरकार चलाने  दो |
                                          
अगले दिन हुक्म हुआ जरी,
सब ड्रेस कोड में   आयेंगे |
नीली साड़ी,कला ब्लाउज ,
सब अपने लिए  बनायेंगे |

मंत्री-संतरी अनुपालन कर,
साड़ी ब्लाउज में आने दो |
चल चुका बहुत शास,न सबका
किन्नर सरकार चलाने  दो |


खुल गया नया, चैनल आला,
संसद के द्र्ष्य, दिखाता था |
लाली जो रेल मिनिस्टर था,
वह रेल बजट बतलाता   था |

प्रति वाक्य बजा कर दो ताली,
अगली सुविधा बतलाने   दो |
चल चुका बहुत शास,न सबका
किन्नर सरकार चलाने  दो |

ठुमका-ताली दे कुछ  सांसद,
हल्ला कर कहते उठ खड़े हुए |
यह बजट सिर्फ नर-नारी   का,
ना किन्नर के कुछ भले  हुए |

कुछ  देर लगा ठुमका,  ताली |
उनको वाक आउट कर जाने दो |
चल चुका बहुत शास,न सबका
किन्नर सरकार चलाने  दो |

अर्जेंट   काम     आया  ऐसा ,
डी एम् आफिस में जा  पहुंचा |
ठोकी   ताली    चपरासी   ने ,
फिर आने  का  कारण  पूछा |

फिर भेंट पकड़ अंदर  जाकर,
आना   मेरा   बत लाने    दो|
चल चुका बहुत शास,न सबका
किन्नर सरकार चलाने  दो |

तब ठोक-ठोक   अपनी  ताली ,
उसके साहब       बाहर   आये |
हे `राज`  तुरत    अंदर   आओ ,
यह कह ठुमके, नाचे,     गाये |

अंदर कमरे में   क्या      देखा, 
वह हाल मुझे    समझाने  दो |
चल चुका बहुत शास,न सबका
किन्नर सरकार चलाने  दो |

कमरे   के  अंदर  एक   तरफ,
ढोलक पर थापें    पड़तीं    थीं |
बाजे पर बैठी      बड़ी       बुआ,
सैटिंग सरगम की करती  थीं |

मैंने पूछा यह    सब  क्या है,
बोले, चुप कोर्ट     लगाने     दो |
चल चुका बहुत शास,न सबका
किन्नर सरकार चलाने  दो |

स्कूलों   में   जब   गये    प्रिय,
था अजब हाल   विद्यालय  का |
ताली,ठुमके  के साथ     प्रेयर,
रेसिस   में   डांस   हुआ  सबका |

लय-सुर में    बच्चे  बात करें ,
ताली  ठुमका,   सिखलाने    दो |
चल चुका बहुत शास,न सबका
किन्नर सरकार चलाने  दो |
  

   

No comments:

Post a Comment