Wednesday, June 29, 2011

man durga hokar prasann

                               माँ दुर्गा होकर प्रसन्न 
                                                               - राज सक्सेना 
हे माँ दुर्गा होकर प्रसन्न, भारत में अब इतना कर दे |
भारत में भ्रष्ट मिलें जितने, तू तड़ी पर सबको कर दे |
निर्धन की फटी लंगोटी को, कम करके उसको फाड़-फाड़,
पहले ले लेते दस प्रतिशत,माइक पर विकास की दें दहाड़,
स्विस बैंको में जो जमा किया,निर्धनजन के  घर धरदे |
 हे माँ दुर्गा होकर प्रसन्न, भारत में अब इतना कर दे |

पुलिया,पुल,सडक,मकानों से, जो मिले कमीशन सारा ही,
पर्दे के पीछे छुपा तन्त्र , खा रहा   निगल कर     सारा   ही,
इन बेशर्मों को हाथ बांध, ला सडकों पर खुला खड़ा कर दे,
हे माँ दुर्गा होकर प्रसन्न, भारत में अब इतना कर दे |

हैं संत, महंत, साधू जितने,     खा रहे लूट कर मॉल सभी,
धोखे से भी मन में अपने,   ना लिया प्रभु का नाम    कभी,
इनकी कुटिया का काला धन, वितरित निर्धन में ला कर दे,
 हे माँ दुर्गा होकर प्रसन्न, भारत में अब इतना कर दे |

लें लूट लंगोटी निर्धन की , क्या लूट मची है  भारत   में,
चूहों जैसे सब नोंच रहे,    जो बची सम्पदा   भारत   में,
जितने हैं ये खोटे सिक्के, इनका धंधा मंदा  कर       दे,
 हे माँ दुर्गा होकर प्रसन्न, भारत में अब इतना कर दे |
    - धन वर्षा,हनुमान मन्दिर,खटीमा-262308(उ.ख.)
                                    मो- 09410718777

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