Saturday, November 26, 2011

अप्रैल फूल बनाया


      अप्रैल फूल बनाया
चतुर्थ मास के प्रथम दिवस को,
उल्लू     के    मन   आया |
रहे  बनाते   उल्लू     हमको,
दिवस      हमारा     आया |

मैं भी आज    स्वंय  सरीखा,
उल्लू        इन्हें    बनाऊं |
अपने    मोबा इल से  झूठे,
कुछ       मैसेज  भिजवाऊं |

भैंस वती को 'मैसेज'  भेजा,
ब्युटी  पार्लर         जाओ |
क्रीम  बनाई एक    उन्होंने,
गोरी     तुम   हो   आओ |

गधे राम को   भेजा 'मैसेज',
सुन्दर - वन   में    जाओ |
वहां   जमी  है अक्लघास जो,
चर कर      अक्ल  बढाओ |

'मैसेज  भेजा चूहे   जी को,
लोमड़  -  वैद्य     पटाओ |
सिंह - राज जो खाते  गोली,
खाकर   कैट       भगाओ |

बिल्ली   को  भेजा 'संदेसा',
'बन्दर्-मुनि' पर    जाओ |
सम्मोहन का मंत्र सीख कर ,
मोटे - रैट         पटाओ |

भेज  संदेशे   उल्लू - राजा,
मन ही मन       इतराये |
देखा सन्देशे  ,  भेजे   पर,
बिना'सैण्ड'का बटन  दबाये |



Friday, October 14, 2011

stuti


       स्तुति
               -डा.राज सक्सेना
वह सुरापात्र दो दयानिधे,
बिन मांगे पूरा भर जाए |
है आठ लार्ज कोटा अपना,
बिन मांगे पूरा कर जाए |

प्रातः उठते ही हैम चिकन,
फ्राइड फिश से हो ब्रेकफास्ट |
हो मट्न लंच में हे स्वामी,
मैं बटरचिकन से करूं लास्ट |

मिलजाय डिनर बिरयानी का,
संग चिकनसूप भरकर आए |
है आठ लार्ज कोटा अपना,
बिन मांगे पूरा कर जाए |


हो आमलेट से दिवस शुरू,
तीखे कैचप के साथ प्रभो |
फ्राईफिश,सींक कवाब मिले,
जब करूं लंच मैं महाप्रभो |

बस मुर्गतन्दूरी,मटन करी,
नित नैक्स्टडिनर लेकर आए |
है आठ लार्ज कोटा अपना,
बिन मांगे पूरा कर जाए |

कीमे से भरा पराठा भी,
मक्खन केसाथ मिले स्वामी |
हर लंचडिनर में नानवैज्-,
की तीनडिशेज कर दे स्वामी |

फ्राइड लीवर और किडनी भी,
दारू संग चखने तर आए |
है आठ लार्ज कोटा अपना,
बिन मांगे पूरा कर जाए |

हो जाय भले कैंसर फिर भी,
मैं नहीं डरूं वह शक्ति  दे |
अगड़्म्-बगड़म बस नानवैज,
दे दे मुझको मत भक्ति दे |

हो मुर्ग मुसल्ल्म अंत समय,
उदरस्थ करे और तर जाए |
अंतिम घड़ियों में आठ लार्ज ,
कवि'राज'पिये और मरजाए |
वह सुरापात्र दो दयानिधे,
बिन मांगे पूरा भर जाए |
     -धनवर्षा,खटीमा-२६२३०८

Sunday, October 2, 2011

kundali anna hazaare

गांधी जी के  देश में, उठने लगे   सवाल |
अनशन अन्ना ने किया,जलने लगे दलाल |
जलने लगे दलाल,  अजब आरोप लगाते,
अनशन पर ये  गांधी का अधिकार  बताते |
कहे'राज'कविराय, न कोई हल  बतलाता,
घोटालों पर हर दलाल,चुप क्यों हो  जाता |
         -०-
ब्लैक मनी स्कैम पर, कर लेते मुख बन्द |
मालमलीदा खा रहे, इस युग के  जयचंद |
इस युग के जयचंद,ग्राण्ट लाखों में पाते ,
कागज में कल्याण दिखा कर खुद खा जाते  |
कहे'राजकविराय',बांट कर पैसा   खाते,
जो आन्दोलन करो सभी को फ्राड बताते |
         -०-

Friday, September 30, 2011

rajnaitik dohe

      राजनैतिक दोहे
              -डा.राजसक्सेना 
आज़ादी है मुल्क में,करता रह विस्फोट |
सत्ता को लाशें नहीं,गिनने हैं कुछ वोट |

कब्रगाह में हो गया,पूर्ण नगर तब्दील |
नेता मंचों पर खड़े, देते  रहे  दलील |

हर हत्या के बाद वे, ला कठोर प्रस्ताव |
राजधर्म का कर रहे,कितना सही निभाव |

आतंकी विस्फोट का, इतना हुआ प्रभाव |
वीर बनें, धीरज धरें, देते  रहे  सुझाव |

हिंसा,हत्या,सिसकियां,आंसू और आतंक |
सब का यही भविष्य है,राजा हो या रंक |

गोली,कर्फ्यू,लाठियां  और दंगों  के दृष्य |
लोकतंत्र का हो गया,निश्चित यही भविष्य |

हिंसा,भय,आतंक से,दिवस न खाली जाय |
चाकू,फरसे,खुखरियां, बने शांति   पर्याय |

अपनी रक्षा खुद करें,  कहते नेता   लोग |
हिंसक होती जा रही,इस युग की हर नस्ल |

सौदे, साज़िश-सैकड़ों, धमकी  और मलाल |
देकर अपने देश को,  सत्ता    रहे  संभाल |

जन विकास के खेल को,देखें होकर    मौन |
अंधों को टी.वी.मिलें, बहरे   पायें    फोन |

आज़ादी के बाद से, ऐसा    हुआ   विकास |
पहले जो था पास में,     नहीं रहा वह पास |  

बौनों ने    जब से    रचा,   अपना संविधान |
सत्ता   चेरी हो      गई, चाकर हुआ  विधान |

Tuesday, August 30, 2011

राजनीति-बाज़


       राजनीति-बाज़
              -डा.राज सक्सेना
संसद में नाटक किया,लगा मुखौटा एक |
गर्म कडाही सिर पड़ी,लीं कुछ पूड़ी सेक |
ली कुछ पूड़ी सेक,रखी मनमें मनवाली,
नहीं सोचते थे , सड़कों पर खाएं गाली |
सुनो'राजकविराय,'इन्हें हम अब देखेंगे,
ये दो कौड़ी के लोग घुटालों   को रोकेंगे |
         -०-
धोखे से उंगली दबी,उसको लिया निकाल |
अब देखेंगे हम तुम्हें, अन्ना,केजरि-वाल |
अन्ना केजरि-वाल, जरा ठन्डे  हो जाओ,
हम क्या कर सकें, प्रिय अन्दाज़ लगाओ |
सुनो'राजकविराय'परिस्थिति विकट बताकर,
हम रख देंगे इसबार आपको विकट नचाकर |
         -०-
मिली जरा सी आड़ तो, तोड़ा अग्नि वेश |
धीरे-धीरे तोड़ दें, बाकी रहे    जो शेष |
बाकी रहे जो शेष,  देखना  खेल हमारा ,
इतना रगड़ें तुम्हें, नहीं लो सांस दुबारा  |
सुनो'राजकविराय',प्लान पर लगे हुए हैं,
छंटे  हुओं  में छंटे, लाम पर डटे हुए हैं |
           -०-
सुविधा भोगी साधु था,स्वामी अग्नि-वेश |
अन्ना जी की टीमसे,अब वह हुआ अशेष |
अब वह हुआ अशेष,सत्य का खड़ा युद्ध है,
जनता का हर शख्स,इसी पर बड़ा क्रुद्ध है |
कहे'राजकविराय्',लोग तो अभी साथ हैं,
डाल-डाल नेतृत्व,तो अन्ना पात्-पात हैं |
          -०-

      अन्ना-पुराण
            -डा.राज सक्सेना
अन्ना जी के सामने,साबित हुए निखद्द |
लम्बी-लम्बी हांक कर बने हुए थे सिद्द |
बने हुए थे सिद्द, धरा अब चाट रहे हैं |
ओमपुरी और किरन मैम को डांट रहे हैं |
कहे'राजकविराय'नैनसुख अब तो जागो,
जान गये औकात सुनो लम्बी मत हांको |
           -०-
रालेगन ने फिर किया,गांधी दांव प्रसिद्ध |
'नवगांधी'पैदा किया,किया सिद्ध ने सिद्ध |
किया सिद्ध ने सिद्ध ,महाभारत दोहराई ,
अर्जुन बनकर लड़े,सही औकात दिखाई |
कहे'राजकविराय'मीडिया कृष्ण सरीखा,
सिर्फ दिखाया सत्य,लगाया नहीं पलीता |
          -०-
लीला के मैदान में,राम लला सा युद्ध |
एक ओर जनता खड़ी,भृष्ट जनों से क्रुद्ध |
भृष्ट जनों से क्रुद्ध,चाल से चेहरे   काटे,
खुद ही पीने पड़े,जहर जितने भी बांटे |
कहे'राजकविराय' मनीष,दिग्गी दुर्भागे ,
पड़े चोर पर मोर,छिपाकर मुंह को भागे |
          -०-

Thursday, July 14, 2011

Wednesday, June 29, 2011

kutton ko biskut

              कुत्तों  को बिस्किट 
                          - डा.राज सक्सेना 

खिलवाते कुत्तों को बिस्किट, लाखों भूखे सो जाते हैं |
जनता के पैसे से नेता,    जीवन भर मौज उड़ाते  हैं |
भारत में   भूखे-नंगों को,दे नहीं पा रहे  पानी तक ,
पाकिस्तानी जल प्लावन में, लाखों डालर दे आते हैं |
घर अपना सिंगल कमरे का,सूनी आँखों का सपना है,
मंत्री जी  पच्चीस लाख मगर,पर्दों पर खर्च कराते हैं |
रोटी के टुकड़े को बचपन,जब तरस रहा है भारत में,
ये मुफ्तखोर `निर्धन नेता`,लाखों वेतन बढ़वाते  हैं |
बिक रही अस्मतें कौड़ी में, ये खुद क्रेता-विक्रेता  हैं ,
कमरे से बाहर आते ही, निर्मल-पावन  हो    जाते हैं |
रखते हम चौकीदारी को, ये घर में लेते सेंध   लगा ,
अरबों की रिश्वत चोरी से , स्विसबैंक जमाकरवाते हैं |
होते हैं जब हम खड़े कभी, शठे-शाठ्यम करने को, 
है जहां  राज  ये पकड़ हमें, आतंकी कहने लग जाते हैं | 
करो सुरक्षा `राज`स्वयं,मरती जनता तो मरने    दो,
लाखों आतंकी पाल स्वयम, ये बुलेट प्रूफ में जाते हैं |

  -धन वर्षा,हनुमान मन्दिर, खटीमा-262308 (उ.ख )
                      मो- 09410718777

man durga hokar prasann

                               माँ दुर्गा होकर प्रसन्न 
                                                               - राज सक्सेना 
हे माँ दुर्गा होकर प्रसन्न, भारत में अब इतना कर दे |
भारत में भ्रष्ट मिलें जितने, तू तड़ी पर सबको कर दे |
निर्धन की फटी लंगोटी को, कम करके उसको फाड़-फाड़,
पहले ले लेते दस प्रतिशत,माइक पर विकास की दें दहाड़,
स्विस बैंको में जो जमा किया,निर्धनजन के  घर धरदे |
 हे माँ दुर्गा होकर प्रसन्न, भारत में अब इतना कर दे |

पुलिया,पुल,सडक,मकानों से, जो मिले कमीशन सारा ही,
पर्दे के पीछे छुपा तन्त्र , खा रहा   निगल कर     सारा   ही,
इन बेशर्मों को हाथ बांध, ला सडकों पर खुला खड़ा कर दे,
हे माँ दुर्गा होकर प्रसन्न, भारत में अब इतना कर दे |

हैं संत, महंत, साधू जितने,     खा रहे लूट कर मॉल सभी,
धोखे से भी मन में अपने,   ना लिया प्रभु का नाम    कभी,
इनकी कुटिया का काला धन, वितरित निर्धन में ला कर दे,
 हे माँ दुर्गा होकर प्रसन्न, भारत में अब इतना कर दे |

लें लूट लंगोटी निर्धन की , क्या लूट मची है  भारत   में,
चूहों जैसे सब नोंच रहे,    जो बची सम्पदा   भारत   में,
जितने हैं ये खोटे सिक्के, इनका धंधा मंदा  कर       दे,
 हे माँ दुर्गा होकर प्रसन्न, भारत में अब इतना कर दे |
    - धन वर्षा,हनुमान मन्दिर,खटीमा-262308(उ.ख.)
                                    मो- 09410718777

Sunday, June 26, 2011

neta jnab ka

              नेता जनाब का 
                               - राज सक्सेना 
किस्सा सुनाएँ आपको, नेता जनाब का |
रखते हैं साथ फूल एक,जिन्दा गुलाब का |
यूँ तो कमी नहीं है कहीं,इन जनाब की,
भारत में फूल फल रहा,धंधा जनाब का |

माँ-बाप तो शरीफ थे, गडबड हुई कहाँ |
पैदा हुआ जो शातिर-ए-आजम अगर वहाँ |
पैदा किसी गली में ये, दर्जन से कम नहीं,
हर घर में तीन-तीन, ये पैदा यहाँ-वहाँ |

आते ही माँ के पेट से ,  हैराँ    उसे     करे |
पैदा करे तो दाई की, नाकों में दम    करे |
हिल जाये देश पूर्ण , सुनामी तुफान  से,
धरती पे आके इनके, मुबारक कदम पड़े |

बोला जो पहला शब्द वो , साला इसे मिला |
गाली का हरेक साल में, बढ़ता है सिलसिला |
रो-रो के पूरे  शहर को, सर पर उठा लिया ,
इसने जो चाहा वो अगर, फौरन  नहीं मिला |

होते ही पांच वर्ष का,   दादा   बना      बड़ा |
हर आमो-खास इसने,जमकर दिए    लड़ा |
फिर देखता है दूर से, जंगो -जहद को  ये,
खुद ही सुलह के वास्ते, हो जाय ये     खड़
शर्तों पे अपनी मेल कराता है ,   ये जनाब |
दोनों ही पक्ष अपना समझते ,  इसे जनाब |
कोई खड़ा हो सामने , किसकी मजाल  है,
यूँ तिकडमों से क्षेत्र का, लीडर बने  जनाब |

मोहल्ले के बाद शहर को, फिर एरिया पकड़ |
पंजे में अपने शातिरों को,ठीक से      जकड़  |
जो सामने को आये तो, हिकमत से काम ले,
पहले ही दांव में वो जाता है फिर       उखड़   |

बन के नवाब फिर ये , चलाये       हुकूमतें |
झुक जाएँ इसके सामने ,  जुर्मों की   ताकतें |
करके महीना फिक्स ये, उनको अभय  करे,
हिस्सा पुलिस का बाँध कर,करता हुकूमतें  |

                                  - धनवर्षा,हनुमान मन्दिर,
                                    खटीमा- 262308(उत्तराखंड)
                                    मो- 09410718777

Saturday, June 25, 2011


jindgi bhr upri hi ki kmai aapne

                 की कमाई आपने 
                                  - राज सक्सेना 
जिन्दगी भर ऊपरी ही, की कमाई आपने |
ये बताओ वो कहाँ, जाकर छुपाई आपने  |
क्यों     पड़ोसन  पड़  गयी  आकर  गले,
कब गजल छुप कर , सुनाई      आपने  |
फिर    रहे हैं    खांसते , हर  सूं      मियां ,  
कौन      सी      खाली     दवाई   आपने |
लिख   रहे  हैं   देर से,      गजलें   जनाब ,
क्यों   नहीं    कोई   ,    छपाई      आपने |
तीसरी    भी   छोड़   कर,   मैके     गयी,
फिर   से   करदी   क्या,  पिटाई  आपने |
ताक में   रहते ,   मिले   तो  ओढ़       लें,
क्योंनहीं अबतक खरीदी है  रजाई आपने  |
आजकल वे  गीत गाते फिर रहे,आपके- 
`राज`   फिर   दारू       पिलाई    आपने |
                              - धनवर्षा,हनुमान मन्दिर,
                              खटीमा-262308
                              मो- 09410718777

pad jata hai gle kabhi

                             पड़ जाता है  गले कभी  
                                                  - राज सक्सेना 
हास्य-व्यंग के गीत सुनाना, पड़ जाता है गले कभी  |
कवियों पर पैरोडी लिख लाना, पड़ जाता है गले कभी |
कविवर जी से हाथ मिलाया, एक अंगूठी गायब है ,
मित्रों से भी हाथ मिलाना, पड़ जाता है गले कभी |
कविता को गम्भीर बना कर,मत पढना सम्मेलन में,
भैंस वती को बीन सुनाना, पड़ जाता है गले कभी |
फूट गया सर संचालक जी का, कविगण हास्पिटल में हैं,
कवियों को दारू पिलवाना, पड़ जाता है गले कभी |
डांट सहन न की बी बी  की, उल्टा उसको डांट दिया,
भूल हैसियत रौब जमाना, पड़ जाता है गले कभी |
थाल,कटोरी,चम्मच सारे, बाद डिनर के नहीं मिले,
कवि को एक डिनर खिलवाना,पड़ जाता है गले कभी |
डर के मारे सोते-सोते, उठ  जाते हैं लालू जी,
बेजुबान का चारा खाना, पड़ जाता है गले कभी |
आंख लड़ाई कल्लो जी से, बिनफेरे घर बैठ गयीं,
`राज`आजकल आँख लड़ाना,पड़ जाता है गले कभी |
                                 - धनवर्षा,हनुमान मन्दिर,
                             खटीमा-262308
                             मो- 09410718777

Wednesday, June 22, 2011

deti use gali hai

           देती उसे गाली है 
                      राज सक्सेना 
इस दौर-ए-फजीहत की, जनता भी निराली है |
चुनती  है जिसे खुद ही, देती उसे गाली है |
नेता तो जन्म से ही मंगतों की नसल का है , 
 कल वोट मांगता था, अब नोट सवाली है |
हालत ये हो गयी है अब कौन देखता है,
असली है नोट या फिर , हर चीज सा जाली है |
खेतों  को खा रही है , अब बाढ़ आगे बढ़ कर,
बाकी बचे तो खाऊं , ताके हुए  माली है |
 नौकर का पेट हद से , अब बढ़ गया है इतना ,
वेतन तो हक है उसका, रिश्वत भी हलाली है |
कर के नकल से बी.ए. , है छात्र दल का नेता,
छोटी मिर्च सरीखा, हद दर्जा  बबाली है  |
खाता है कसम ये के, मैनें तो नहीं पी है,
भेजो जो शाम बोतलमिलती सुबह खाली है |
एक सुन्दरी को लेकर,दौरे पे आया अफसर,
लाया है किराये पर,  कहता है के साली है |
हर -इक चला रहा है, हाथों को `राज ` अपने,
पड़  जाये तो थप्पड़ है, बज जाये  तो ताली है |


                            - धनवर्षा,हनुमान मन्दिर,
                         खटीमा- 262308 (उत्तराखंड)

deti use gali hai

                                   देती उसे गाली है 
                                          - राज सक्सेना 
इस दौर-ए-फजीहत की,जनता भी निराली है |
चुनती है जिसे खुद ही,   देती उसे        गाली है |
नेता तो जन्म से ही, मंगतों  की नस्ल का  है,
कल वोट मांगता था,    अब नोट सवाली      है |
 

Monday, June 20, 2011

janta bhi nirali hai

         जनता भी निराली है  
                                        - राज सक्सेना 
इस दौर-ए-जमाना की , जनता भी निराली है |
चुनती है जिसे खुद ही                         

Saturday, June 18, 2011

ghurega aur ko

                         घूरेगा और को 
                                    - राज सक्सेना
गलती करेगा और फिर, घूरेगा और को |
क्या हो गया इंसानियत के,अबके दौर को |
हमने चुना देगा हमें, कुछ दिन तो रोटियां,
नेता चुरा के खा गया, हम सब के कौर को |
डेटिंग पे जा रही हैं , दादी की उम्र जिनकी,
घुन लग गया है दोस्त , जवानी के तौर को |
नन्हीं सी उम्र है मगर , दो तीन फ्लर्ट कर ,
दिल्ली में हुस्न बाँट कर, चलदी लहौर को |
टीचर की जात देखिये, शिष्यों से पी शराब,
शिष्या से दुष्ट चाहता, मन के कुछ और को |
साहब दुकान पर हैं, घर में धमाल-इ-मौज,
तन्हाइयों में कोसते, फ्रीडम के दौर को |
लिव इन रिलेशनों से, बढती है शान अब ,
मैरिज की क्या जरूरत, फसने दो और को |
शादी बिना हों बच्चे, इज्जत की बात है,
काजी बने हो`राज` क्यों, चलने दो दौर को |

 -धन वर्षा,हनुमान मन्दिर,
 खटीमा-262308 (उ.ख.)
मो- 09410718777

Wednesday, June 8, 2011

इन्किलाब कर डालो - राज सक्सेना उट्ठो-उट्ठो इन्किलाब कर डालो. उनका खाना खराब कर डालो | एक मछली से घुस गये हो जब, पूर्ण गंदा तलाब कर डालो | इतना ऊधम मचाओ संसद में, साँस लेना अजाब कर डालो | बेतुके प्रश्न चीख कर पूछो, सबको तुम लाजवाब कर डालो | रिश्वतें सब विदेश ले जाकर , बैंक में निल हिसाब कर डालो | कमाओ खूब, खत्म हो न कभी, खुद को वाजिद नवाब कर डालो | उट्ठे खिलाफ कोई, हौंसला न रहे, इतना सब पर दवाब कर डालो | दर्द-इ-सर हो गया अगर कोई, उसकी पुश्तें खराब कर डालो | कच्ची दारू को देके संरक्षण, सब का जीवन `गुलाब` कर डालो | इतने संशोधन हों कोंस्टीट्यूशन में, लंगड़ी-लूली किताब कर डालो | मुल्क है `राज` फिर बिके न बिके , जल्दी सौदा, जनाब कर डालो | - धनवर्षा, हनुमान मन्दिर , खटीमा-262308(उत्तराखंड) मो- 09410718777


इन्किलाब कर डालो
                           - राज सक्सेना

उट्ठो-उट्ठो इन्किलाब कर डालो.
उनका खाना       खराब कर   डालो |
एक    मछली  से  घुस  गये हो जब,   
पूर्ण   गंदा   तलाब    कर         डालो |
इतना ऊधम      मचाओ संसद  में,
साँस लेना    अजाब    कर       डालो |
बेतुके    प्रश्न     चीख   कर       पूछो,
सबको तुम लाजवाब   कर    डालो |
रिश्वतें    सब   विदेश   ले      जाकर ,
बैंक  में निल  हिसाब   कर    डालो |
कमाओ खूब, खत्म हो न   कभी,
खुद को वाजिद नवाब कर डालो |
उट्ठे खिलाफ कोई, हौंसला न रहे,
इतना सब पर दवाब कर डालो |
दर्द-इ-सर हो      गया अगर कोई,
उसकी पुश्तें      खराब कर डालो |
कच्ची        दारू को देके संरक्षण,
सब का जीवन `गुलाब` कर डालो |
इतने संशोधन हों कोंस्टीट्यूशन  में,
लंगड़ी-लूली        किताब कर डालो |
मुल्क है `राज` फिर बिके न बिके ,
जल्दी     सौदा,   जनाब    कर डालो |
                - धनवर्षा, हनुमान मन्दिर ,
             खटीमा-262308(उत्तराखंड)
  मो- 09410718777

sadke lapet ke

                     सदके लपेट के
                                           - राज सक्सेना

बाहर तो आके देखिये, अब अपने गेट के |
दर पे खड़े हैं लोग सब,     सपने लपेट के |
जी जान से लगे थे ,भारत में हो विकास ,
लो आ गया विकास भी,     चेहरे लपेट के |
यूँ तो नहीं आते कभी, संसद के कक्ष में,
विश्वासमत में आ    गये,   कुर्सी पे लेट के |
सारे   जहाँ    से     अच्छा,   भारत    महान है |
रिश्वत का है   समन्दर, `पी   ले`  समेट   के |
कह दो विदेशियों से ,   आयें   सभी    यहाँ,
बाहर खड़े हैं खोलकर, हम अपने गेट के |
बुजदिल हैं `राज` हम तो, धमकी तो दे हमें,
दुश्मन को देश    दे    दें,   सदके    लपेट के |

  - धन वर्षा,हनुमान मन्दिर,खटीमा-262308 (उ.ख.)
                        - मो- 09410718777
                               
                                  

Saturday, June 4, 2011

प्रातः देखा आया स्वच्छक,
गा कर वह गंद उठता था |
झाड़ू से ज्यादा खुद हिलता,
सुर-बेसुर में कुछ गाता था |

मैनें पूछा,     बोला   चुप  जा ,
सत्ता का हुक्म बजाने    दो |
चल चुका बहुत शासन सबका,
किन्नर सरकार   चलाने दो |

क्लीनिक में ताली दे मरीज,
डाक्टर को हाल सुनाता था |
फिर दे ताली डाक्टर साहब,
लिख-लिख कर दवा बताता था |

आया नर्सों को ठुमक-ठुमक,
गोली खाना     बतलाने     दो |
चल चुका बहुत शासन सबका,
किन्नर सरकार    चलाने दो |

बैंकों में अफसर खड़ा-खड़ा,
ठुमके दस बार लगाता    था |
कागज पर दस्खत से पहले,
ताली नौ बार बजाता      था |

पूछा,बोला चुप रह भय्या ,
बस बिजनेस हमें बढ़ाने दो |
चल चुका बहुत शासन सबका,
किन्नर सरकार बनाने दो |

जब प्रमुख सचिव मंत्री जी के,
दस्तखत करवाने    जाता  था |
वह ठुमक-ठुमक ताली देकर,
फाइल का सार बताता    था |

मंत्री को भी  फिर ठुमक-ठुमक,
फाइल पर थम्ब लगाने  दो |
चल चुका बहुत शासन सबका,
किन्नर सरकार    बनाने दो |

अफसर को गार्ड-सलामी का,
होगया पास एक नियम नया |
एक हाथ कमर पर रक्खा हो,
एक हाथ शीश पर धरा गया |

`अये-हये   ले   मुए  सलामी  ले` ,
कह कर सैल्यूट     लगाने  दो |
चल चुका बहुत शासन सबका,
किन्नर सरकार     चलाने दो |
            धनवर्षा,हनुमान मन्दिर,
       खटीमा-262  308 (उत्तराखंड)
         मो- 09410718777

kinnr srkar

                 किन्नर - सरकार 

संसद में चुन किन्नर आये,
पी एम् शब्बो को चुना गया |
चंदा को गृह, रजनी   विदेश,
कजरी को रक्षा  दिया  गया

बाकी विभाग भी जल्दी  ही,
किन्नरगण में बंट जाने दो |
चल चुका बहुत शास,न सबका
किन्नर सरकार चलाने  दो |
                                          
अगले दिन हुक्म हुआ जरी,
सब ड्रेस कोड में   आयेंगे |
नीली साड़ी,कला ब्लाउज ,
सब अपने लिए  बनायेंगे |

मंत्री-संतरी अनुपालन कर,
साड़ी ब्लाउज में आने दो |
चल चुका बहुत शास,न सबका
किन्नर सरकार चलाने  दो |


खुल गया नया, चैनल आला,
संसद के द्र्ष्य, दिखाता था |
लाली जो रेल मिनिस्टर था,
वह रेल बजट बतलाता   था |

प्रति वाक्य बजा कर दो ताली,
अगली सुविधा बतलाने   दो |
चल चुका बहुत शास,न सबका
किन्नर सरकार चलाने  दो |

ठुमका-ताली दे कुछ  सांसद,
हल्ला कर कहते उठ खड़े हुए |
यह बजट सिर्फ नर-नारी   का,
ना किन्नर के कुछ भले  हुए |

कुछ  देर लगा ठुमका,  ताली |
उनको वाक आउट कर जाने दो |
चल चुका बहुत शास,न सबका
किन्नर सरकार चलाने  दो |

अर्जेंट   काम     आया  ऐसा ,
डी एम् आफिस में जा  पहुंचा |
ठोकी   ताली    चपरासी   ने ,
फिर आने  का  कारण  पूछा |

फिर भेंट पकड़ अंदर  जाकर,
आना   मेरा   बत लाने    दो|
चल चुका बहुत शास,न सबका
किन्नर सरकार चलाने  दो |

तब ठोक-ठोक   अपनी  ताली ,
उसके साहब       बाहर   आये |
हे `राज`  तुरत    अंदर   आओ ,
यह कह ठुमके, नाचे,     गाये |

अंदर कमरे में   क्या      देखा, 
वह हाल मुझे    समझाने  दो |
चल चुका बहुत शास,न सबका
किन्नर सरकार चलाने  दो |

कमरे   के  अंदर  एक   तरफ,
ढोलक पर थापें    पड़तीं    थीं |
बाजे पर बैठी      बड़ी       बुआ,
सैटिंग सरगम की करती  थीं |

मैंने पूछा यह    सब  क्या है,
बोले, चुप कोर्ट     लगाने     दो |
चल चुका बहुत शास,न सबका
किन्नर सरकार चलाने  दो |

स्कूलों   में   जब   गये    प्रिय,
था अजब हाल   विद्यालय  का |
ताली,ठुमके  के साथ     प्रेयर,
रेसिस   में   डांस   हुआ  सबका |

लय-सुर में    बच्चे  बात करें ,
ताली  ठुमका,   सिखलाने    दो |
चल चुका बहुत शास,न सबका
किन्नर सरकार चलाने  दो |
  

   

Friday, June 3, 2011

leedr n bnna

              लीडर न बनना
                                              - राज सक्सेना

नाले में जाकर कहीं डूब मरना |
किसी ट्रेन के सामने कूद पड़ना |
जैसी भी चाहे, जितनी भी चाहे,
जी भर के प्यारे उछल कूद करना |
सलाह दे रहा हूँ न मेहनत से बचना,
किसी हाल में भी तू लीडर न बनना |

पढाई की प्यारे फिकर अपनी करना |
 मन हो तो खेलों  की करनी भी करना
नहीं हो अगर कोई  अच्छी व्यवस्था,
ठेली लगा  कर गुजर अपनी करना |
कर्जा उठा कर भले पेट भरना |
किसी हाल में भी तू लीडर न बनना

लीडर बना तो रहेगा न घर का |
पता पैर का रख सकेगा न सर का |
किसी भी जगह फिट नहीं हो सकेगा,|
बनेगा नवागत किसी एक दल का |
शुरू से ही दरियां बिछाने से बचना |
किसी हाल में भी तू लीडर न बनना |

बनेगा जो लीडर कटे नाक सबकी,
कमाई किसी की अगर तूने झटकी |
वादा किया और निभाया नहीं तो,
चली जाये इज्जत बने जो घर की |
किसी तरह साख घरभर की रखना ,
किसी ह्हालें भी तू लीडर न बनना |

होना भले ही कवि पुत्र मेरे,
उठा लूँगा  भरसक  सभी  खर्च तेरे |
कवि होके कुछ तू कम न सकेगा,
मैं पालूंगा बच्चे सभी यार तेरे |
जो चाहे तो तू भी खुला खर्च करना |
किसी हाल में भही तू लीडर न बनना |

- धन वर्ष, हनुमान मन्दिर, खटीमा-262308
(उत्तराखंड) मो - 9410718777

Thursday, June 2, 2011

शादी न करना 
                       - राज सक्सेना
मिले खेत ख़ाली वहां खूब चरना,
किसी पोखरे से क्षुधा शांत  करना |
बताता हूँ मैं बात तुझको पते    की,
जो सुधरे कभी न,वो गलती न करना |
हव्वा के आगे तू आदम न बनना ,
मेरे पुत्र जीवन में शादी न करना |

करेगा जो शादी तो पछतायेगा तू,
रोने को कोना नहीं पायेगा तू |
निकलना भी चाहे न निकलेगा बच्चे,
चक्कर में इसके जो पड़ जायेगा तू |
भंवर में फंसे तो नहीं हो निकलना ,
 मेरे पुत्र जीवन में शादी न करना |

न रो ही सकेगा न हंसने मिलेगा,
व्यथा पुत्र अपनी तू किससे कहेगा |
ये लड्डू तेरी दंतपंक्ति हिला दे ,
नई रोज पीड़ा कहाँ तक तक सहेगा |
चढ़ा जो हिमालय तो मुश्किल उतरना,|
मेरे पुत्र जीवन में शादी न करना |

ये बोझा है बेटे पड़े जिसको ढोना,
शुरू में लगे ये, गजब का    सलोना |
मगर कुछ दिनों में, ये नौबत बनेगी,
बने बास बीबी तू उसका खिलौना  |
बलि के लिए पुत्र , बकरा न बनना ,
मेरे पुत्र जीवन में  शादी न करना |

नहीं रिस्क लेना जरा सा भी बेटे,
फंसा जाल में जो जरा सा भी बेटे |
घुटन  उम्र भर की मिलेगी तिकोनी,
मुलायम पड़ा जो जरा सा भी बेटे |
मैरेज के हर दांव से बच निकलना ,
मेरे पुत्र जीवन  में शादी न    करना |

सभी बीबियाँ छुई-मुई सी लजाती,
कबूतर सी डरकर पतिगृह में आती |
मगर छै दिनों में ही पांसा पलट कर,
चलाएगी वो हुक्म  हिटलर की भांती |
 पडेगा  इशारे पे, सोना व   जगना ,
मेरे पुत्र जीवन में शादी न करना |

बंटरहा दूध बूथों पे मिलजायेगा रे ,
 जैसी जरूरत हो ,   ले आयेगा रे |
है मंहगाई का युग ये मंहगी पड़ेगी,
नहीं एक गय्या भी रख पायेगा रे |
 डेरी से  लाकर दही - दूध चखना ,
मेरे पुत्र जीवन में शादी न करना |
                    धन वर्षा, हनुमानमन्दिर,
                   खटीमा-262308 (उत्तराखंड)
                   मो- 09410718777  

Thursday, May 26, 2011

ye bhart desh hai mera

ये भारत देश है मेरा 

जूता चप्पल से संसद में,
होता      मिलन-विदाई /
माइक कुर्सी तोड़ फेंककर ,
करते      रस्म - अदाई /
गाली देकर प्रेम-प्रदर्शन ,
सबने      यहाँ    बिखेरा /
ये भारत देश   है    मेरा /

रोज-रोज होते   घोटाले,
जमकर  उठे      हवाला /
कभी तहलका शोर मचाये,
चारा   खाए          लाला /
हर सौदे में भेंट कमीशन,
चलता      तेरा -    मेरा /
ये   भारत  देश  है  मेरा /

सत्य,अहिंसा छुपकर चलते,
तन   कर   चले    लुटेरा ,
धर्म,जाति और व्यक्तिवाद को,
मन   में       लिए   घनेरा /
दुष्ट    फरेवी पांच साल   में ,
करते        आकर      डेरा /
ये   भारत  देश  है  मेरा /

देव-भूमि   पर झूठे - जोगी,
करते        कर्म      निराले /
ऊपर  से हैं , धवल-गेरुआ ,
अंदर    से      सब     काले /
बेच  रहे भगवान सडक पर,
बाँटें            घना     अँधेरा /
ये   भारत  देश  है  मेरा /

डरे -डरे     से  दादा-दादी ;
निश-दिन मौत    पुकारे /
नित्यनियम से कोई बाप को,
सौ - सौ       जूते     मारे /
भाई-भाई   के मन   रहती ,
नफरत        डाले     डेरा / 
ये   भारत  देश  है  मेरा /

हर बालक सलमानखान है,
कटरीना        हर      बाला /
गली-गली में खुली मुहब्बत,
करते           लाली -  लाला /
कच्छी ब्रेजरी पहन बेटियां,
घुमे             शाम     सवेरा /
ये   भारत  देश  है  मेरा /
          धन वर्षा, हनुमान मन्दिर 
          खटीमा-262 308  (उत्तराखंड) 
          मो- 09410718777

Saturday, May 21, 2011

            बाबू  जी 

बाबू जी नव वर्ष में, नित-नित फूलें आप,
इसी बरस दिखनें लगें,   हाथी जी के बाप /
 हाथी जी के बाप,  तोंद   इतनी बढ़  जाये,
छोटे फीते से इस वर्ष,   नहीं   नप    पाए /
कहे`राज `कवि , बाबू जी का नियम पुराना,
बिना भेद, रिश्वत ही खाना, जम कर खाना /

Friday, May 20, 2011

                     ईओ 

ईओ जी इस वर्ष भी, खींचो जमकर नोट ,
नोट खीचने में तुम्हें, कब लगता है खोट /
 कब लगता है खोट ,नहीं है वोट मांगना,
कब करना है तुम्हें , किसी से कोई याचना /
कहे `राज `कवि , कौन तुम्हें कुछ कह सकता है,
सिर्फ तुम्हारी सहमति से, कुछ हो सकता है /


                  ओ  एस 

गये वर्ष ओ एस रहे, अक्सर बहुत बीमार,
इसी वजह हिस्सा मिला, काफी पैसे मार /
 काफी पैसे मार, भला किसको समझाएं ,
एक बात जो है बिशेष , तुमको बतलाएं /
कोई फाइल बिना, इधर से उधर न होती ,
बिन दस्तूरी इन्हें दिए भी, गुजर न होती /


                         मेम्बर  


मेम्बर जी इस वर्ष में, ढक कर रखें फरेब,
धोके से जाहिर न हों, मनमंदिर के एब  /
मनमंदिर के एब , कांड चुपके से करना ,
जनता को हो लाभ. नहीं गलती से करना /
कहे `राज` किसी तरह भी, घर को भरना,
ऊखल में जब बैठ गये, मूसल से क्या डरना /


              मंत्री जी 




मंत्री जी इस वर्ष भी, इतना रखना ध्यान,
साथ नाक के काट दो, विरोधियों के कान /
विरोधियों के कान, नहीं कुछ सुन पायेगा,
फिर विरोध संसद में,  कैसे  कर   पायेगा /
कहे `राज`कवि, बिन रिश्वत के काम न करना,
खुद वोटर लेता घूस, आपको फिर क्या डरना /

Thursday, May 19, 2011

naye vrsh ki kamna

भली भांति सब देख नए वर्ष की कामना 
ने ता

नए वर्ष में आपको  , दौरे पड़ें अनेक ,
पूर्ण वर्ष जलते रहें, सबकी उन्नति देख /
सबकी उन्नति देख, टूर फारेन के मारें,
कपड़े सारे  उतर जाएँ जांचों में सारे /
कहे `राज`कवि , गये वर्ष से कांड न करना,
कहीं जाओ पर मान, वहां भारत का रखना /

गुरु 

नया वर्ष शुभ आपको, जुड़ कर नये प्रसंग,
सुंदर शिष्या एक रखें,बिना ब्याह के संग /
बिना ब्याह के संग, रोज टी वी पर आयें,
अपना काला मुंह, जब तब उस पर दिखलायें,
कहे `राज` कवि, लव गुरु से सम्माने जाएँ ,
जनता मारे शूज, अनगिनत गिने न जाएँ /

अफसर 


नये वर्ष में आपको , रिश्वत मिलें अनेक,
मगर चार जूते पड़ें, सिर पर गिन कर ऐक /
सिर पर गिन कर ऐक, कभी ऐसा हो जाये,
तुमको भी निज काम, घूस देना पड़ जाये,
कहे `राज`कवि, जितना भी हो माल कमाया,
रेड पड़े तो निकल जाए,  सारे   का   सारा /

चेयरमैन


चेयरमैन जी आपको `चेयरें` मिलें अनेक,
लकिन उन पर बैठिये, भली भांति सब देख /
भली भांति सब देख, विरोधी जाल रचाएं,
रास रचाते हुए , आप उसमें फंस जाएँ /
कहे `राज` कवि , दिन  ऐसे   न      आयें ,
आप तमाशा घुस क़र देखें, बाज़ न आयें / 

Wednesday, May 18, 2011

ujjvl,

उज्ज्वल, उन्नत, उत्तराखण्ड
                                                       - डा० राज सक्सेना 

सफल-समन्वित,श्रम-शुचितालय ,
शीर्ष-सुशोभित, श्रंग - शिवालय /
विरल- वनस्पति, विश्रुत-वैभव,
वनधन, पशुधन- पूर्ण हिमालय /

                         पावस -प्रचुर, प्रकल्पित खंड /
                          उज्ज्वल, उन्नत, उत्तराखण्ड /

हेमकुंड,   हरिद्वार    यहाँ      पर ,
मस्जिद, चर्च , विहार यहाँ    पर /
कलियर, पंच- प्रयाग, ग्लेशियर ,
बद्रि- नाथ ,   केदार  यहाँ     पर /

                        मधुमंडित, महिमा सत-खंड /
                         उज्ज्वल, उन्नत, उत्तराखण्ड /

गंगा-  यमुना,   पुण्य -धरा    पर ,
जन्म यहीं  लें ,  बूंद -बूंद      कर /
अन्नकोष - आपूरित,      आँगन ,
है     सम्पूर्ण   ,  तराई   -  भाबर /

                          पावन  -   पर्यावरण ,  प्रखंड ,                      
                          उज्ज्वल, उन्नत, उत्तराखण्ड /

सर्व-धर्म  -  समुदाय  ,   निवासी ,
शौर्य , सत्य  , शुचिता  स्वशासी /
मिल कर  सभी  प्रेम  से   रहते  ,
मूल  -  निवासी   और    प्रवासी /

                        भ्रात्र- भाव - भव भूमि अखण्ड 
                          उज्ज्वल, उन्नत, उत्तराखण्ड /  



Saturday, May 14, 2011

प्रजातन्त्र पटरी पर लाओ 
राष्ट्रपिताजी आप स्वर्ग में, 
परियों के संग खेल रहे हैं /
इधर आप के चेले-चांटे,
लाखों अरबों पेल रहे हैं /

`दरिद्रदेवता `कहा जिन्हें था,
जीवन अपना ठेल रहे हैं /
फटी लंगोटी तन पर लेकर,
मंहगाई को झेल रहे हैं /

भारत से सम्बन्धित बापू,
गणित तुम्हारा सही नहीं था /
कुछ दिन रहता सैन्यतन्त्र में,
प्रजातन्त्र के लिए नहीं था /

नियमों के पालन की आदत ,
खाद बना कर डाली जाती /
फिर नेता की फसल उगा कर,
प्रजातन्त्र में डाली जाती /

आज सभी को आज़ादी है,
लुटती फिरती जनता सारी /
मक्खन खाते नेता-अफसर ,
छाछ न पाती किस्मतमारी /

मंहगाई से त्रस्त सभी हैं,
गायब माल नहीं दीखता है /
दाल बिक रही सौ की के जी ,
आता तीस रु .बिकता है /

आलू बीस रु . तक बिक कर,
अब नीचे कुछ आ पाया है /
प्याज़ बिक गयी इतनी मंहगी,
तड़का तक न लग पाया है /

बड़ी कम्पनी माल घटा कर,
कीमत पूरी ले लेती है /
अधिकारी ध्रतराष्ट्र बनाकर,
कुछ टुकड़े उनको देती है /

कर्ज उठा कर नोट छापते,
यह सब जेबों में आता है /
पैसा ज्यादा,माल हुआ कम,
मूल्य एकदम बढ़ जाता है /

अर्थशास्त्री पी.एम्. अपने,
इतना फंडा समझ न पाते /
एम् एन सी को भारत ला कर,
नव विकास की दरें दिखाते /

धीरे-धीरे देश सिमट कर,
बंधन में इनके आ जाता /
भारत माँ को बंधक रख कर,
नेता कोई शर्म न खाता /

बेच रहे हैं देश कुतर कर,
अपनी सत्ता कायम रखने /
धर्म-जाति में नफरत डालें,
मन में दूरी कायम करने /

राष्ट्रपिता अब लाठी लेकर,
तुम भारत वापस आ जाओ /
ठोक बजा नेता-अफसर ,
प्रजातन्त्र पटरी पर लाओ /


Monday, May 9, 2011

शिकायत है बहुत छोटी, हमें करना नहीं आता /
लगीं हैं टोंटियाँ घर में, मगर पानी नहीं  आता /
यूँ कहने को मेरे घर  में, टंगे हैं बल्ब दर्जन भर,
बने शो पीस रहते हैं , कभी पावर नहीं आता /
लगे हैं सैकड़ों स्वच्छक ,शहर भर की सफाई को,
ये दीगर बात है अपनी, गली में वो नहीं आता /
है हर खम्बे पे एक हंडा, बड़ा सा रौशनी करने,
बिचारा क्या करे उसको, कभी जलना नहीं आता /
ये लगता है कि सब अंधे ,भरे हैं इन विभागों में,
बिना` पकड़े हुए लकड़ी`, इन्हें चलना नहीं आता /
सिखाया है इन्हें जनता , रियाया  `राज`इनकी है,
उसे मिल जाये कुछ सुविधा, इन्हें करना नहीं आता /


दूरबीनों को उठा कर, कोना-कोना देख लो /
कर दिया इंसाफ हम ने , कितना बौना देख लो /
हो गया दायर तो फिर, तारीख बरसों तक नहीं , 
क्या जरूरी केस का तुम, खत्म होना देख लो /
पीडिता से साजिशन, करके कुछ उलटे सवाल,
एक व्यभिचारी  सज़ा से,  दूर होना देख लो /
सत्य की लेकर शपथ, आधार है हर झूंठ का,
सत्य-मन्दिर में असत का,मुख घिनौना देख लो /
कत्ल चौराहे पे सब के, सामने होता है पर,
न्याय को निर्जल नदी में, जा डुबोना देख लो /
ये कहा है `राज `सबने,`अंत अति का एक दिन`,
क्या पता तुम ये कहावत, सत्य होना देख लो /